बुधवार, 18 अप्रैल 2018

ये लौकी भगवान ने क्यों बनाई ??

इसकी दो वजह हो सकती है ! पहली बात तो ये कि वो यह चाहते हों कि औरतो के पास कम से कम एक आध तो ऐसा मारक हथियार तो हो ही जिससे वो आदमियो को परास्त कर सके !औरत लौकी बनाये बिना रह नही सकती ! लौकी नाराजगी जताने का सबसे कारगर तरीका है औरतो का ! थाली मे लौकी देखते ही बेवकूफ से बेवकूफ आदमी ये समझ जाता है कि उससे कोई बडी चूक हो चुकी है !आदमी लौकी की वजह से ही दबता है अपनी बीबी से ! कायदे से रहता है ! आदमी को तमीज सिखाने का क्रैडिट यदि किसी को दिया जा सकता है तो वो लौकी ही है !

मेरी यह समझ मे यह बात कभी आयी नही कि लौकी से कैसे निपटें ! लौकी आती है थाली में तो थाली थरथराने लगती है ! रोटियाँ मायूस होकर किसी कोने मे सिमट जाती हैं ! जीभ लटपटा जाती है ! आप अचार, चटनी, पापड या दही के भरोसे हो जाते हैं ! हर कौर के बाद पानी का गिलास तलाशते हैं आप ! आपको लगने लगता है कि आपकी तबियत खराब है, आप ICU मे भर्ती हैं ! बंदा डिप्रेशन मे चला जाता है ! दुनिया वीरान वीरान सी महसूस होती है !  कुछ अच्छा होने की कोई उम्मीद बाकी नही रह जाती ! मन गिर जाता है ! लगता है अकेले पड गये हैं !  दरअसल लौकी, लौकी नही होती, वो आपकी बीबी की इज्जत का सवाल होती है ! आप पूरी हिम्मत करके लौकी का एक एक निवाला गले से नीचे उतारते है ! बीबी सामने बैठी होती है ! जानना चाहती है लौकी कैसी बनी ! आप बीबी का मन रखने के लिये झूठ बोलना चाहते हैं पर लौकी झूठ बोलने नही देती ! लौकी की खासियत है ये ! इसे खाते हुये आदमी हरीशचन्द्र हो जाता है !

 आप चाहते हुये भी लौकी की तारीफ नही कर पाते !

मेरा ख्याल से बंदे को शादी करने के पहले यह पता लगाने की कोशिश जरूर करनी चाहिये कि उसकी होने वाली बीबी लौकी से प्यार तो नही करती ! वैसे ऐसी लडकी मिल भी जाये तो इसकी कोई गारंटी नही कि शादी होने के बाद उसका झुकाव लौकी की तरफ नही हो जायेगा !  दुनिया मे ऐसी लडकी अब तक पैदा ही नही हुई है जो बीबी की पदवी हासिल कर लेने के बाद पति को सबक सिखाने के लिये लौकी का सहारा लेने से परहेज करे ! जब तक जहर इजाद नही हुआ था तब तक आदमी दुश्मनो को मारने के लिये लौकी का ही इस्तेमाल किया करता था ! लम्बे टाईम से टिके मेहमान को दरवाजा दिखाने के लिये लौकी से बेहतर और कोई तरीका नही ! थाली में हर दूसरे वक्त लगातार लौकी के दर्शन कर ढीट से ढीट मेहमान भी समझ जाता है कि अब चला चली का वक्त आ गया है !

पर एक तारीफ तो करनी ही पडेगी इस लौकी की ! न्यायप्रिय होती है ये ! सब को एक सा दुख देती है ! स्वाभिमानी भी होती है ये ! अपने मूल स्वभाव और कर्तव्यो  से कभी नही डिगती ! लाख मसाले, तेल डाल दें आप इसमे ! ये पट्ठी टस से मस नही होती ! आप मर जायें सर पटक कर पर लौकी हमेशा लौकी ही बनी रहती है ! एक बात और जो मेरी समझ मे कभी नही आई कि  लौकी खाने से ही क्लोरेस्ट्राल क्यो कम होता है ! ये भी भगवान का मजाक ही है आदमी के साथ ! ये काम गुलाब जामुन और काजू कतली  को भी सौंप सकता था वो ! पर ऐसा किया नही उन्होने ! जानबूझ कर लौकी को ही सौंपी ये जिम्मेदारी...।


व्यंग्यकार अज्ञात

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