रविवार, 1 अप्रैल 2018

ऑफिस में नींद आना एक खतरनाक बीमारी

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जी नींद तो बहुत ही जरूरी चीज़ है, लेकिन यह ऑफिस के समय आ जाए तो मुसीबत बन जाती है। काम करते हुए आंखें बंद होने लगें, थकान महसूस होने लगे और अगर ऐसे मौके पर नींद लेने का मौका ना मिले, तो बस सिरदर्द शुरू हो जाता है। ऐसे में करें तो क्या करें...
अगर बॉस को पता चल गया कि हम काम छोड़कर नींद की नदी में गोते लगाने की तैयारी में हैं तो वह हमारी हमेशा के लिए काम से छुट्टी कर देंगे। ऐसी हालत अमूमन उन लोगों की होती है जो एक जगह पर बैठकर काम करते हैं। जो इधर-उधर घूमकर काम करने के आदी होते हैं, उनकी नींद चलने-फिरने से ही काफी हद तक गायब हो जाती है।
लेकिन घंटों कम्प्यूटर स्क्रीन के सामने बैठकर काम करने वालों के लिए तो नींद के साथ-साथ कम्प्यूटर की स्क्रीन भी एक बड़ी चुनौती बन जाती है। मैं किसी अन्य इंसान का क्यों, बल्कि स्वयं अपना ही उदाहरण दे सकती हूं। ऑफिस में घंटों लैपटॉप के सामने बैठने के बाद जब आंखें थक जाती हैं तो उन्हें खोल सकना भी एक कठिन टास्क बन जाता है।
और अगर साथ ही नींद भी आ रही हो तो शायद गर्मागर्म चाय भी उसे भगा नहीं सकती। ऐसे में तो मन करता है कि एक कोई ज़ोरदार धमाका हो जिससे दिमागी नसें खुल जाएं और यह नींद उड़ जाए। क्योंकि ऑफिस में आने के बाद आराम करने की अपेक्षा आप सपने में भी नहीं कर सकते, आपको कैसे भी करके काम को पूरा करना ही है।

जानें कुछ कारण

एक शोध के मुताबिक ऑफिस के दौरान भी नींद आने के कुछ विशेष कारण सामने आए हैं। पहला कारण उन लोगों से जुड़ा है जो रात के समय पूरी नींद लेने में असमर्थ रहते हैं। ऐसे में वे शायद ऑफिस आकर काम कर भी लेते हैं, लेकिन दिमाग नींद की ओर होने की वजह से वे खुली आंखों से भी बंद आंखों के समान काम करते चले जाते हैं और परिणाम यह होता है कि कोई भी काम ठीक तरीके से नहीं होता।
लेकिन जो नींद पूरी लेते हैं उनका क्या? सच में ऐसे कई लोग होते हैं जो रात में जरूरत के अनुसार आराम से 7 से 8 घंटे की नींद ले लेते हैं और सुबह फिर भी मुश्किल से उठते हैं। इतना ही नहीं, उठने के बाद नहाकर और फिर तैयार होकर ऑफिस आ तो जाते हैं, लेकिन नींद उन पर नशे की तरह चढ़ी रहती है।

काम में मन नहीं लगता

ऐसे में वे काम में मन नहीं लगा पाते। इसका एक कारण हो सकता है कि उनकी शारीरिक एवं मानसिक थकान की तुलना में जितनी नींद की उन्हें आवश्यकता है शायद वह उन्हें नहीं मिल रही। लेकिन दूसरा कारण उनमें शारीरिक रूप से कुछ कमियां होना हो सकता है। ऐसे में इन लोगों को जरूरत है तो एक डॉक्टर की।

व्यायाम है फायदेमंद

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किन्तु यदि ऐसी कोई परेशानी नहीं है और फिर भी अपने आलसी स्वभाव के कारण आपको रोज़ ऑफिस में नींद आती है, तो कुछ टिप्स जरूर आजमाएं। विशेषज्ञों की राय में ऐसे में व्यक्ति को व्यायाम करने की जरूरत है। रोज़ाना कसरत करने से वह दिमागी नसों को जागरुक कर सकता है।
ऐसे लोगों को ऐरोबिक्स करनी चाहिए, जो ना केवल शरीर में स्फूर्ति लाती है बल्कि एक ऐसी ऊर्जा प्रदान करती है, जिससे हम हमेशा तरोताजा महसूस करते हैं। फिर ऐसे में बिना वजह नींद का आना असंभव सी बात है।
लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक बार-बार नींद आने का एक और कारण भी हो सकता है। यह है एक प्रकार की बीमारी, जिसे चिकित्सकीय दुनिया “हायपरसोम्निया” के नाम से जानती है। आम भाषा में हम इसे जरूरत से अधिक नींद आने की तकलीफ भी कह सकते हैं।

हायपरसोम्निया

हायपरसोम्निया से पीड़ित वे लोग होते हैं जो हर थोड़े समय के बाद नींद आने की शिकायत रखते हैं। जैसे कि सुबह उठने के बाद भी जब दोबारा बिस्तर पर जाने का मन करे। इसके अलावा कहीं भी बैठे-बैठे सो जाना, साथ ही भोजन करने या फिर अनचाहे समय पर नींद आना, जबकि उनकी रात की नींद जरूरत के अनुसार पूरी हुई थी।
फिर भी बार-बार नींद आने की यह परेशानी ही उस इंसान को हायपरसोम्निया से पीड़ित होना मानती है। ऐसे लोग यदि गलती से गहरी नींद में चले जाएं, तो कुछ भी हो जाए, लेकिन इन्हें उठा सकना एक मुश्किल कार्य हो जाता है। लेकिन इसका एक ही हल डॉक़्टरों को दिखाई देता है, और वो है ऐरोबिक्स करना।
इस बीमारी पर शोध कर रहे शोधकर्ताओं ने कुछ लोगों को एकत्रित करके उनके ब्लड सैम्पल लिए। यह वे लोग थे जो इस बीमारी से ग्रस्त हैं, लेकिन इससे निजात पाने के लिए ऐरोबिक्स कर रहे हैं। इस वर्ग के लोगों का जब डॉक्टरों ने ब्लड सैम्पल लिया तो उन्हें काफी आश्चर्यजनक तथ्य हासिल हुए।

एक कारण है डिप्रेशन

इस टेस्ट में डॉक्टरों ने देखा कि शोध का हिस्सा बनने वाले लोगों में से कम से कम 100 लोग ऐसे थे जो डिप्रेशन का शिकार थे। यह डिप्रेशन ही उनमें हायपरसोम्निया जैसी बीमारी को पैदा होने दे रहा है, जिसके कारण वे घंटों तक सोते रहते हैं और उठने के बाद भी दोबारा सोने की ख्वाहिश रखते हैं।
लेकिन यही लोग जब ऐरोबिक्स को अपना रहे हैं तो यह व्यायाम उनके दिमाग में पनपने वाले दो खास विकारों को खत्म कर रहा है। यानी कि डिप्रेशन जैसे हालात में ऐरोबिक्स काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। तो यदि सच में आप इतना सोने के आदी हो गए हैं तो डॉक्टर की सलाह के साथ ऐरोबिक्स भी जरूर आज़माएं।

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