शनिवार, 11 नवंबर 2017

एक व्यापारी का सच

मै व्यापारी चोर हूँ ..
क्यों कि मै रात दिन खुद की रिस्क पर कमाता हूँ .सुबह से शाम तक काम मे जुटा रहता है...
क्योकि मेरे दिये हुये टैक्स से उस शिक्षक को तनख्वाह मिलती है जो साल मे 200 दिन भी नहीं  पढ़ाई  कराता..
क्योकि मेरे दिये पैसे से उस पुलिस को तनख्वाह मिलती है जो कभी समय पर नहीं मिलती..
क्योंकि मेरे दिये टैक्स से उस डाक्टर को तनख्वाह मिलती है जो कभी अस्पताल नहीं  जाता..
क्योंकि मेरे दिये टैक्स से उस अफसर को तनख्वाह मिलती है जो हर काम पैसा खा कर करता है..
मेरे दिये पैसे से ही मन्त्री मज़ा करते है..
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मोदीजी आपसे गुजारिश है कि हम चोर व्यापारियों को पकडने के लिये उन्ही अफसरो को भेजना जिसने कभी पैसा न खाया हो सदा ईमानदारी से काम किया हो...आपने गाना सुना होगा ..पहला पत्थर वो मारे जिसने पाप न किया हो जो पापी नहो..

हम व्यापारी तो चोर है...

हम टैक्स चोरी नहीं करते, टैक्स बचाते हैं, ये इसलिए ताकि हम अपने बच्चों और परिवार को भविष्य में किसी आकस्मिक आपदा से सुरक्षित रख सकें।
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(1)हमने अपने घरों में हजारों रुपये खर्च कर  जनरेटर/इन्वर्टर ख़रीदे, ---
     *क्योंकि सरकार हमें नियमित रूप से बिजली उपलब्ध नहीं करा सकी।*

(2) हमने submercible pump इसलिए लगाये--
   *क्योंकि सरकार हमें शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं करा सकी।*

(3) हमें private security guards इसलिए रखने पड़े
   *क्योंकि सरकार हमें सुरक्षा देने में असमर्थ है।*

(4) हम private hospitals & नर्सिंग होम में जाने को विवश हुए--
   *क्योंकि सरकार ,सरकारी चिकित्सालयों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने में नाकाम रही।*
(5) हम कार, मोटरसाइकिल खरीदने को विवश हुए---
   *क्योंकि सरकार, सार्वजनिक सस्ती परिवहन व्यवस्था बनाने में असफल रही।*
     और अंत में सरकार को टैक्स देने वालों को, उनके रिटायरमेंट के समय में, जब उसे अपनी जीवन रक्षा के लिए, सर्वाधिक सहायता की जरूरत होती है ? बदले में क्या मिलता है ?
*कुछ नहीं !*
 सरकार से कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं।
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लेकिन इसके विपरीत, उसके कठिन परिश्रम से अर्जित आय के स्रोतों का उपयोग सरकार, subsidy और गरीबों के कल्याण के नाम पर, *उन लोगों के वोट खरीदने में खर्च कर देती है जो सरकार को एक पैसा भी टैक्स नहीं देते।*
मुख्य बात ये है कि सरकार हमारे टैक्स के पैसों का क्या करती है ???:--
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*--न्यायालय खोलती है --*
   जहाँ न्याय नहीं मिलता। लाखों मुकद्दमें 10--20 साल से ज्यादा समय तक लटके रहते हैं।
*-पुलिस स्टेशन--*
    जो आम जनता की सुरक्षा के बजाय केवल राजनेताओं की सुरक्षा करती है ।
*--अस्पताल--*
   जहाँ न दवाईयाँ मिलती हैं और न ही ढंग से चिकित्सा ही होती है।
*--सड़कों का निर्माण --*
   जहाँ 40% ----60% राशि, ठेकेदार, बिचौलिए, नेताओं की जेब में चले जाते हैं।
   यह सूची तो अंतहीन है ........
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पश्चिमी देशों की तरह, यदि केंद्र और राज्य की सरकारें, जनता के लिए उपरोक्त सुविधाएँ भली भांति उपलब्ध करा दें, तो कोई टैक्स चोरी भला क्यों करना चाहेगा  ?
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हम सभी जानते हैं कि हमारे द्वारा दिए गए टैक्स का एक बहुत बड़ा हिस्सा, सरकारी कर्मचारियों और राजनेताओं पर खर्च हो जाता है
---   एक व्यापारी अपना मॉल  2%--10% लाभ पर विक्रय करता है, जबकि सरकार अपने खर्च के लिए उसकी आय का 30% ले लेती है। 
यह कहाँ तक उचित है ??
यही कारण है कि कोई टैक्स देना नहीं चाहता।
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हम टैक्स बचाते हैं--
     अपनी जरूरतों के लिए,परिवार के लिए,अपनी वृद्धावस्था के लिए, सुरक्षा के लिए।
    
     देश की आजादी के 70 वर्षों के बाद भी, केंद्र और राज्यों की सरकारें, वर्तमान परिस्थितियों के लिए, पूर्णतया जिम्मेदार हैं।
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कोशिश किजिये देश के प्रधान सेवक तक ये दर्द पहुंचे..!
एक व्यापारी का सच...

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