शनिवार, 8 मार्च 2014

शंख बजाओ, सुख.शांति पाओ



हिन्दू धर्म में शंख को बहुत ही पवित्र और शुभ फलदायी माना गया है। इसलिए पूजा-पाठ में शंख बजाने का नियम है। अगर धार्मिक बातों को दरकिनार भी कर दें तो भी शंख बजाने के ऐसे फायदे हैं जिसे जान लेंगे तो हर दिन सुबह शाम शंख बजाए बिना नहीं सो पाएंगे। जो दंपत्ति संतान सुख की चाहत रखते हैं। लेकिन किसी कारण से संतान सुख में बाधा आ रही है उन्हें नियमित दक्षिणवर्ती शंख में दूध भरकर शालिग्राम को स्नान करना चाहिए। पत्नी को प्रसाद स्वरुप यह दूध पिलाएं। माना जाता है कि इससे संतान प्राप्ति में आने वाली समस्या दूर होती है। व्यक्ति को संतान सुख प्राप्त होता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चो बोलने में तेज हो। वाणी संबंधी किसी भी तरह की परेशानी आपके बच्चे को नहीं हो तब गर्भावस्था के दौरान स्त्री को शंख में पानी भरकर पिलाएं। जो बच्चे हकलाकर बोलते हैं या तोतला बोलते हैं। उनकी वाणी संबंधी परेशानी दूर करने के लिए भी बच्चे को शंख में पानी भरकर पिलाना फायदेमंद होता है।
शंख बजाने से स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। खासतौर पर यह फेफड़ों से संबंधित रोग के लिए बहुत ही असरदार माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार शंख बजाने से दमा, कास प्लीहा, यकृत और इंफ्लूएंजा नामक रोग दूर रहता है। इससे किडनी एवं जननांगों पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है। शास्त्रों में कहा गया है कि शंखघोष से निकलने वाला ओम का नाद मानसिक रोगों को दूर करता है। इससे कुंडलिनी जागरण की शक्ति भी विकसित होती है। माना जाता है कि शंखनाद से शरीर एवं आस-पास के वातावरण शुद्घ होता है और सतोगुण की वृद्घि होती है। इससे कई प्रसुप्त तंत्र जागृत होता है जो मनुष्य के विकास में सहायक होता है।
शंख बजाना शुभ माना जाता है लेकिन कुछ समय ऐसे हैं जब शंख नहीं बजाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार रात में संध्या आरती के बाद शंख नहीं बजाना चाहिए। इससे लक्ष्मी नाराज होती है और आर्थिक नुकसान होता है। जबकि चिकित्सा की दृष्टि से कहा गया है कि महिलाओं को गर्भावस्था के दौरन शंख नहीं बजाना चाहिए। इससे गर्भ पर दबाव पड़ता है। जैसी चाहत हो उस अनुसार सही शंख चुनें
शंख के बारे में अगर आप यह सोचते हैं कि यह सिर्फ भगवान की पूजा के काम आता है तो इस धारणा को मन से निकाल दीजिए। शंख में ऐसी चमत्मकारी शक्तियां मौजूद होती हैं जो आपकी हर चाहत को पूरी कर सकता है। लेकिन शर्त यह है कि आप चाहते क्या हैं और क्या आपने सही शंख का चुनाव किया है।
यानी आपकी जैसी चाहत हो उस अनुसार सही शंख चुनें। शास्त्रों में बताया गया है कि हर शंख की अपनी खूबी होती है। इसके अनुसार इनके नाम भी अलग-अलग हैं।
 आइए कुछ ऐसे ही चमत्कारी शंख की बात करते हैं। मान्यता है कि देवी लक्ष्मी के हाथों मे शोभा पाने वाला शंख दक्षिणावर्ती है इसलिए इसे देवी लक्ष्मी का शंख भी कहा जाता है। इस शंख का मुंह दाहिने ओर होता है। आम तौर जो शंख मिलते हैं उनका मुंह बाईं ओर होता है। इस शंख को कष्टनिवारक शंख कहा गया है। घर में सुख शांति और समृद्धि के लिए इस शंख को देवी लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति के सामने लाल वस्त्र पर रखकर इसकी पूजा करनी चाहिए। इससे घर में लक्ष्मी का वास होता है, दिनानुदिन उन्नति होती है। प्यार में आ रही हो परेशानी या जीवनसाथी से अनबन रहती है तो आपके लिए हीरा शंख फायदेमंद हो सकता है। माना जाता है इस शंख से शुक्र ग्रह से संबंधित दोष दूर होता है और प्रेम में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है। अभिमंत्रित करके इस शंख को शयन कक्ष में रखने से शुक्र ग्रह अनुकूल रहता है। दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है और भौतिक सुख-समृद्घि में इजाफा होता है। गरीबी दूर करने वाला विष्णु शंख
इस शंख की आकृति अर्धचन्द्राकार होने के कारण इसे चंद्र शंख भी कहते हैं। जिसके पास यह शंख होता है वह कभी गरीब नहीं होता है। ऐसे व्यक्ति की सुख समृद्धि बढ़ती जाती है। जिस व्यक्ति को हृदय रोग या सांस संबंधी परेशानी की संभावना हो उन्हें अपने घर में मोती शंख रखना चाहिए। माना जाता है कि इस शंख में गंगाजल भरकर पीने से हृदय स्वस्थ रहता है। सांस संबंधी परेशानियों से बचाव होता है।  प्रकृति में एक ऐसा शंख मिलता है जिसकी आकृति गणेश जी के समान होती है। इसे गणेश शंख कहा जाता है। माना जाता है कि यह शंख विद्या प्राप्ति में सहायक होता है। यह सौभाग्य एवं पारिवारि उन्नति के लिए भी उत्तम माना गया है। व्यापारियों को अपने व्यापार स्थल में अथवा पूजा स्थल में इस शंख को विधिवत स्थापित करना चाहिए। इससे आर्थिक लाभ बढ़ता है। कारोबार में उन्नति होती है।

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