शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013

एक मासूम जन डिप्लोमेसी...

एक गैर राजनीतिक संवाद...
एक मासूम जन डिप्लोमेसी...

``अबकी बार मोदी ही आएगा, काए..? ``
``आएगा भाईजी, बिलकुल आएगा। दैदीप्यमान नक्षत्र है वर्तमान राजनीति का। आकर ही रहेगा।``
``दस साल में झांकी तो फुल खैंच दी है भाई ने ``
``हां, भाईजी सब बातों पे ध्यान धरता है। प्रखरता है उसके कनै।``
``कोई कछु भी कह ले उसकी ईमानदारी पर अंगुली नहीं उठा सकता है?``
``100 टका टंच बात कही भाईजी, आत्मबल है उसके कनै। नैतिकता और शुचिता को साथ लेकर फिरता है।``
``और कहीं मनमोहन ही पलटी मार गए तो...?``
``मार भी सकते हैं भाईसाब, मार सकते हैं। राजनीति की कौन कहे...!``
``पढ़ा-लिखा तो विकट है। काम तो उसने भी भारी किए हैं ``
``उसके कनै भी प्रखरता है भाईसाब। सब बातों का ध्यान धरता है। देश को विकास के रास्ते पर दौड़ा दिया है उसने ``
``बाकी तो कितने भ्रष्ट हैं पर उसकी ईमानदारी पर कोई अंगुली नहीं उठा सकता है। ``
``मुंह की बात छीन ली भाईसाब आपने तो दैदीप्यमान नक्षत्र है वो तो...``
``इतना पढ़ा-लिखा प्रधानमंत्री पहले न हुआ...! ``
``हां, भाई साब, पढ़ा लिखा तो भौतई है। ``
``उकै मंत्रियों ने जो धोखा न दिया होता तो कोई उस पर एक आरोप तक न लगा सकता है। ``
``हऔ भाईसाब, टंच बात, काफी मात्रा में आत्मबल है उसके पास, चारित्रिक दृढ़ता.... ``
``काए कि चारित्रिक दृढ़ता-फृढ़ता, हम कहते हैं सिधाई से होता क्या है। गच्चा खा गए हैं वे, देश चलावै को डिप्लोमेसी चाहिए।``
``सच्ची बात, देश चलावै को तो डिप्लोमेसी चाहिए ही चाहिए।``
``ईमानदारी-फिमानदारी से का देश चलवै..? चालबाजी आनी चाहिए। नहीं तो कोई भी कैसा भी चला देगा। चंट न भए तो कोई भी बीच सड़क पर हाथ छुड़ाकर गदबद दे लेगा और वै टापते रह जाएंगे। ``
``फिर सही कह गए भाईसाब, चालबाजी तो आनी ही आनी चाहिए। मोदी को देखो उसकी यही तो खासियत है। पक्को चंट है सबको सीधा रखता है। ``
``हूं...तो का, चालबाजी से चलती है पॉलिटिक्स, लोग ऊब न चुके हैं इन हरकतों से...जनता को आदर्श टाइप का नेता चाहिए अब तो... ``
``फिर मुंह की बात छीन ले गए आप तो भाईजी... ``
``मुंह चलावे वाला ही तो चाहिए आज, नहीं तो ये अमेरिका-फमेरिका दादागिरी करके कोने में धर देंगे। क्या समझे.. ``
``समझ गए भाई साब, वैसे हमारे भी मुंह में ही धरी थी ये बात, आप ही पहले कह गए... बकता नहीं वक्ता चाहिए आज तो ``
``वैसे यार, ये मोदी बोलता तो धांसू है। खाट खड़ी कर देता है सामने वालों की...``
`` सामने वालों की खाट ही खड़ी कर देता है... ``
``लेकिन देश को तो मुंह चलावै वालो चाहिए या काम करवै वालो चाहिए, तुम कहो ``
``क्या बात कही भाई साब, काम करवै वालो ही चाहिए... ``
``काम तो बेटा उसने भी बहुत किया है...गुजरात को सरपट दौड़ा दिया है... ``
``बहुत ही दौड़ाया है भाई साब ``
``काम तो बेटा इसने भी बहुत किया है...देश को विकास के रास्ते पर ले भगै हैं ``
``लाख टके की बात, ले भगै हैं...``
``तो अबकी बार मोदी ही आएगा... ``
``मोदी ही आएगा भाई साब, दैदीप्यमान... ``
``मनमोहन भी पलटी मार सकते हैं काए.. ``
``हऔ, राजनीति की कौन कहै, प्रखर... ``
``वैसे, कोई आए हमें क्या फरक पड़ता है... ``
``बिलकुल गलत बात भाई साब, फर्क तो हमें पड़ता ही पड़ता है...जैई कारन तो अपनी ये दशा है...``
``हें..! तू तो नेताओं जैसा पलटता है रे...``
अनुज खरे
 
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