गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

आईपीएल के लिए लोगों का पिघलता उत्साह


डॉ. महेश परिमल
चार अप्रैल से आईपीएल का कुंभ शुरू हो गया है। अब तक चार आईपीएल हो चुके हैं। इन चारों में दर्शकों की भागीदारी बेहतर रही। पर इस बार पांचवें आईपीएल में दर्शक काफी निराश हैं। उनका उत्साह अब पिघलता दिखाई दे रहा है। इस बार आईपीएल की ब्रांड वेल्यू में भी कमी आई है। मीडिया पर छाने वाले विज्ञापनों की आवक भी कम हुई है। इन बातों को देखते-समझते हुए यही कहा जा सकता है कि इस बार दर्शकों में आईपीएल को लेकर कोई विशेष उत्साह नजर नहीं आ रहा है। कहा जाता है कि किसी भी चीज की अति हमेशा बुरी होती है। चार वर्ष पहले आईपीएल को लेकर दर्शकों की तरफ से काफी रिस्पांस मिला था। आईपीएल शुरू होने के पहले ही अखबार और टीवी इसके विज्ञापनों से लद जाते थे। मैच के दौरान तो सिनेमा घरों में सन्नाटा छा जाता था। आईपीएल के चलते नई फिल्में भी रिलीज नहीं होती थीं। पहले आईपीएल समारोह में अक्षय कुमार, ऋतिक रोशन और केटरीना कैफ की उपस्थिति से लोगों को खूब मनोरंजन हुआ था। इस बार ऐसा कुछ भी दिखार्ठ नहीं दे रहा है। बालीवुड को भी आईपीएल का भय नहीं है, इसीलिए एजेंट विनोद और हाऊसफुल 2 भी प्रदर्शित हो गई। इसके बाद 6 अपै्रल को टाइटेनिक का थ्री डी संस्करण रिलीज हो रहा है, संभव है उस दिन मैदान खाली रहें और सिनेमाघरों में भी़ उमड़ पड़े।  टीवी पर विज्ञापन देने वाली कंपनियों में भी उत्साह दिखाई नहीं दे रहा है। सुपरस्टॉर अमिताभ बच्चन को बुलाकर यदि अपना उद्धार कर लेती है, तो उसका भला हो सकता है, पर इसकी उम्मीद कम ही है। बच्चन जी इसके पहले श्मिस वर्ल्ड्य के कर्ताधर्ता रह चुके हैं। वह स्पर्धा भी कामयाब नहीं हो पाई थी।
आईपीएल दर्शकों के उत्साह में कमी आने का सबूत है टीआरपी। आईपीएल के तीसरे सीजन में उसकी टीआरपी 5.2 थी, चौथी सीजन में वह घटकर 3.9 पर पहुंच गई। इस बार इसमें और कमी आएगी, यह भी तय है। ईपीएल के प्रसारण का अधिकार प्राप्त करने वाली सेट मेक्स चौनल को विज्ञापनों का स्लॉट बेचने और प्रायोजक खोजने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ इसी तरह की परेशानी आईपीएल चार के समय भी एसोसिएट स्पॉन्सर और मीडिया स्पॉन्सर को ढूंढने में भी आई थी। आईपीएल ने वह ख्याति प्राप्त नहीं की, जो इंग्लिश प्रीमियर लीग और बिम्बलडन को प्राप्त है। संभवतरू इसके पीछे आईपीएल का नाम घोटालों से जुड़ जाना हो सकता है। आखिर आईपीएल की एक बड़ी हस्ती ललित मोदी को कौन नहीं जानता, जिसके कारण इसकी काफी फजीहत हुई थी। आईपीएल के लिए विज्ञापन देने वाली कंपनियां भी निरुत्साहित हैं। गोदरेज जैसी कंपनी ने भी इसके लिए इस बार अपने विज्ञापन देने से इंकार कर दिया। उसे लग रहा है कि इस स्पर्धा की कीमत आवश्यकता से अधिक आँकी गई है। अब तक इसके लिए सबसे अधिक विज्ञापन देने वाली कंपनी एलजी ने भी इस बार आईपीएल से खुद को दूर रखा है। उसे भी यही लगता है कि आईपीएल में दिए जाने वाले विज्ञापनों के लिए जितना खर्च किया जाता है, उसका रिस्पांस उतना नहीं मिल पाता है। अब तक हर बार इसमें विज्ञापन की दर बढ़ती रहती थी, पर इस बार दर बढ़ाने की हिम्मत कोई नहीं कर पा रहा है। पिछले साल दस सेकंड के स्लाट के लिए 3.3 लाख रुपए वसूले जाते थे, इस बार इसके दर में दस प्रतिशत की कमी होने की संभावना है। हालांकि  सेट मेक्स ने विज्ञापनों की दरों में कमी करने से इंकार किया है, पर परदे के पीछे से बार्गेनिंग जारी है।
इस बार आईपीएल के फ्रेंचाइजीस की भी हालत अच्छी नहीं है। उन्हें भी प्रायोजक के भाव में कमी करने का दबाव है। पिछले वर्ष जिस टीम की टाइटल स्पांसरशिप 16 थी,वह 18 करोड़ में बिकी थी। वह इस बार 8 करोड़ में बिकने के लिए तैयार है। टीम की जर्सी पर सीने वाले भाग में जो लोगो था, उसकी स्पांसरशिप पिछले वर्ष 8 करोड़ रुपए थी, वह इस बार 4 करोड़ रुपए है। जिन्होंने आईपीएल की टीम खरीदी है, उन्हें अभी तक मुनाफा नहीं मिला है। कई टीमों के मालिक इस ताक में हैं कि किसी तरह अपनी टीम को बेच दिया जाए। पहले चार वर्ष में आईपीएल की कई टीमों ने काफी नुकसान किया था। उसके बाद भी वे किस तरह से स्पर्धा में टिकी रही, ये एक सवाल हो सकता है। किंग इलेवन पंजाब ने चार साल में 40 करोड़ का नुकसान किया, इसे तो उसके एक उच्च अधिकारी स्वीकार भी करते हैं। बड़ी और ख्यातिप्राप्त टीमें एक साल में 20 करोड़ का नुकसान करती हैं, तो कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि आईपीएल द्वारा उसके ब्रांड का प्रचार होता है। किंतु छोटी टीमों द्वारा किए गए नुकसान के बाद उनका स्पर्धा में टिका रहना भी कठिन है। दिल्ली डेरडेविल के एक अधिकारी का कहना है कि हम बड़ी टीमों के सामने प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं सकते, यह हमारी विवशता है। हाल ही में चेन्नई की टीम ने रवींद्र जाडेजा के लिए 30 करोड़ का भुगतान किया। उसी तरह बेंगलोर की टीम ने क्रिस गेल के लिए मोटी राशि का भुगतान किया। ऐसा भी कहा जा रहा है कि आईपीएल में कई सौदे दो नम्बर पर किए जा रहे हैं।
प्रेक्षकों के घटते उत्साह के साथ-साथ आईपीएल की ब्रांड वेल्यू भी कम होती जा रही है। ब्रिटन की ब्रांड फाइनांस कंपनी ने 2009 में आईपीएल की ब्रांड वेल्यू 2.01 अब डॉलर आंकी थी, यही वेल्यू 2010 में बढ़कर 4.13 अरब डॉलर तक पहुंच गई थी, पर 2011 में यही वेल्यू घटकर 3.67 अरब डॉलर पर पहुंच गई है। आईपीएल की टीमों की ब्रांड वेल्यू भी कम ज्यादा होती रहती है। 2009 में राजस्थान रायल्स की ब्रांड वेल्यू मुंबई इंडियंस से अधिक थी। एक वर्ष बाद मुंबई की टीम टॉप पर पहुंच गई और राजस्थान की टीम नीचे चली गई। राजस्थान रॉयल्स के मालिकों ने कोलकाता के एक बिजनेसमेन को उसका अधिकांश हिस्सा 20 करोड़ डॉलर में बेचना चाहते हैं, ऐसी अफवाह है। पर अभी तक सौदा हुआ नहीं है। इसका कारण यह है कि नुकसान देने वाली कंपनी को कोई खरीदना ही नहीं चाहता। राजस्थान के बाद कोलकाता, दिल्ली, हैदराबाद और पंजाब की टीम भी बिकने वाली हैं, ऐसा कहा जा रहा है। एक जानकार का कहना है कि आईपीएल से कभी मुनाफा नहीं होता, बड़ी कंपनियाँ उसका उपयोग अपने उत्पादन के प्रचार-प्रसार के लिए करते हैं। आईपीएल में मुनाफा भी लगातार घट रहा है। इसे भले ही अभी स्वीकार न किया जा रहा हो, पर इस बार यदि दर्शकों की संख्या कम होती है, तो उसे स्वीकारना ही होगा। इस कारण इस बार अमिताभ बच्चन और सलमान खान को भी मैदान में उतारा जा रहा है। इन दोनों हस्तियों के कारण प्रारंभिक मैचों में भीड़ देखी जा सकती है। 2008 में जब आईपीएल की शुरुआत हुई थी, तब सभी टीमों के साथ 5 साल का कांटेक्ट किया गया था, इस वर्ष ये कांटेक्ट खत्म हो रहा है। आईपीएल के मुख्य प्रायोजक डीएलएफ का भी कांटेक्ट इस सीजन में खत्म हो रहा है। डीएलएफ को यह कांटेक्ट 5 करोड़ डॉलर में मिला था। अब यह दूसरे कांटेक्ट के लिए सामने आती है या नहीं, यह देखना है। मैचों को टीवी पर दिखाने का कांटेक्ट भी इसी वर्ष खत्म हो रहा है। ये सारी कंपनियाँ अगली बार के लिए सामने आती हैं या नहीं, इसी पर आईपीएल का भविष्य निर्भर करता है। इसी से यह तय हो जाएगा कि भारत में आईपीएल का भविष्य उज्जवल है या नहीं।
पहले भारतीय दर्शक पाँच दिनों का टेस्ट मैच देखने का मजा लेते थे। फिर इससे बोर होने लगे। तब एक दिवसीय मैच की शुरुआत हुई। कुछ समय बाद दर्शक इससे भी बोर होने लगे। तब 20-20 का सीजन शुरू हो गया। यदि दर्शक इससे भी बोर होते हैं, तो क्रिकेट खेलने की नई शैली इजाद करनी होगी। आज इंसान सस्ता मनोरंजन चाहता है। यही कारण है कि वी टीवी और फिल्मों के बाद इंटरनेट की ओर बढऩे लगा है। आज की युवा पीढ़ी फेसबुक और ट्विटर पर घंटों समय गुजारती है। इस पीढ़ी को किसी और मनोरंजन की आवश्यकता ही नहीं है। ऐसे में आईपीएल कहाँ तक युवाओं की मनोरंजन की भूख को शांत कर पाता है, यही देखना है।
डॉ. महेश परिमल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें